बिहार में जमीन की रजिस्ट्री महंगी होने की आशंका

बिहार में जमीन की रजिस्ट्री महंगी होने की आशंका

बिहार में जमीन की रजिस्ट्री महंगी होने की संभावना है। राज्य सरकार जमीन के न्यूनतम मूल्यांकन पंजी (एमवीआर) को बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस कदम से जमीन की रजिस्ट्री करवाने में लोगों को अधिक खर्च करना पड़ेगा।

क्या है एमवीआर?

एमवीआर जमीन की न्यूनतम कीमत होती है, जिसके आधार पर रजिस्ट्री शुल्क तय किया जाता है। अभी तक, बिहार में जमीन की श्रेणी के आधार पर एमवीआर तय किया जाता था, जैसे कि ग्रामीण, शहरी, कृषि योग्य आदि। लेकिन अब सरकार जमीन के वर्गीकरण में एकरूपता लाने की योजना बना रही है।

क्यों बढ़ाया जा रहा है एमवीआर?

  • राजस्व बढ़ाना: सरकार का मुख्य उद्देश्य राज्य के राजस्व को बढ़ाना है।
  • जमीन के दुरुपयोग को रोकना: एकरूपता लाने से जमीन के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।
  • बिचौलियों की भूमिका कम करना: इससे जमीन के कारोबार में बिचौलियों की भूमिका कम होगी।
बिहार में जमीन की रजिस्ट्री महंगी होने की आशंका
बिहार में जमीन की रजिस्ट्री महंगी होने की आशंका

जमीन के वर्गीकरण में क्या बदलाव होंगे?

  • नई श्रेणियां: जमीन को कुछ प्रमुख श्रेणियों में बांटा जाएगा, जैसे कि कृषि, आवासीय, व्यावसायिक आदि।
  • सड़कों के आधार पर वर्गीकरण: शहरी क्षेत्रों में सड़कों के आधार पर जमीन की श्रेणियां तय की जाएंगी।
  • सर्वे का महत्व: सरकार जमीन सर्वे का काम भी कर रही है ताकि जमीन के रिकॉर्ड को सही किया जा सके।

इससे लोगों पर क्या असर पड़ेगा?

  • रजिस्ट्री शुल्क में बढ़ोतरी: एमवीआर बढ़ने से जमीन की रजिस्ट्री करवाने में लोगों को अधिक शुल्क देना होगा।
  • जमीन की कीमतें बढ़ सकती हैं: एमवीआर में बढ़ोतरी से जमीन की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
  • जमीन के सौदों में कमी आ सकती है: महंगी होने के कारण जमीन के सौदों में कमी आ सकती है।

क्या यह बदलाव फायदेमंद होगा?

यह बदलाव सरकार के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन आम लोगों के लिए यह महंगा साबित हो सकता है। हालांकि, इससे जमीन के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा और राजस्व में वृद्धि होगी।

निष्कर्ष

बिहार सरकार द्वारा जमीन के एमवीआर को बढ़ाने का फैसला जमीन की कीमतों और रजिस्ट्री शुल्क को प्रभावित करेगा। यह बदलाव सरकार के लिए फायदेमंद हो सकता है लेकिन आम लोगों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

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